प्रिय मोदी जी
याद है
जब इस तरह की वारदातों पर मनमोहन सिंह चुप रह जाते थे, तो आप कहा करते थे कि डूब मरो !
आज निज़ाम बदला है, कुर्सी पर ख़ुद आप हैं और जनता आपसे सवाल कर रही है !
यही सच है कि देश की सबसे बडी कुर्सी पर बैठे हुए शख़्स की तमाम मजबूरियॉं होती हैं, दुनिया के तमाम मुल्कों का दबाव होता है !
ये दबाव पिछली सरकारों पर भी था !
लेकिन तब आपने बहोत मज़ाक उडाया था सरदार जी का !
वीर रस के कवियों ने तो कविता से ही पाकिस्तान फतेह कर दिया था !
चैनलों के पत्रकारों ने टी वी चैनल को जंग का मैदान बना दिया था
लेकिन आज जब ख़ुद जवाबदेही का वक्त आया है तो सिर्फ निंदा हो रही है !
मोदी जी और राजनाथ जी
बडबोलापन हमेशा आदमी को परेशान करता है, आज आपको परेशान कर रहा है !
अगर एक सर के बदले दस सर लाने का वादा आपने ना किया होता तो शायद आज आपसे इतने सवाल ना होते !
अगर आप लाहौर तलक घुस कर मारने की बातें ना किये होते भाषणों में तो आपका मज़ाक ना उडता !
जुमलों से सरकार बनाई तो जा सकती है
चलाई नहीं जा सकती !
अब भी आपसे गुज़ारिश है कि देश इस मुद्दे पर आपके साथ खडा है !
हम आपको जंग के लिये उकसा नहीं रहे हैं, क्यूँकि हमने हर रोज़ मुल्क में लहू देख रहे हैं, अब और नहीं देखना चाहते हैं !
बस ये है कि कुछ एैसा स्थायी हल निकाल दीजिये कि हमें अपने सैनिकों की लाशें ना देखनी पडें !
Must Read
Shehla Rashid writes
If the Uri attack demonstrates anything, it is the fact that the Indian state is pitting people against people, substituting a democratic re...